नमस्ते मेरे प्यारे पाठकों,...
मैं हूँ धैर्या शब्दों की उस दुनिया से जुड़ी, जहाँ हर एहसास एक कहानी बन जाता है।
लिखना मेरे लिए सिर्फ अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि एक सुकून है... एक ऐसी जगह, जहाँ मैं अपने दिल की बातें कह सकती हूँ, बिना किसी डर के।
“..... मेरी पहली कोशिश है
एक ऐसी कहानी जो दिल की गहराइयों से निकली है।
मैं उन भावनाओं को शब्द देना चाहती हूँ, जिन्हें अक्सर लोग महसूस तो करते हैं,
पर कह नहीं पाते।
हर किरदार मेरे लिए हकीकत का हिस्सा है
कभी किसी की मुस्कान में, तो कभी किसी की आँखों की नमी में।
अगर मेरे शब्द तुम्हारे दिल को छू जाएँ,
तो समझ लेना कि मेरी कोशिश सफल हुई।
💫 धैर्या
"हर लफ़्ज़ मेरे दिल से निकला है..." 🌙.....
(◕ᴗ◕✿)
Agar aap sabhi ko pasand Aaye to hamen please bataiyega.....
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,,,, to chaliye pahle milte Hain Ham... Story ki maine character se... Pratyusha... Aur suno Pratyusha Jara apne bare mein batao na intro do apna..... Ham milte Hain aapse bad mein okay ab Pratyusha ka time hai bolane ka to aap uski baat sune... Kyunki vah khud Hi bataiye apni kahani ke bare mein..☺️.bye 👋🏻 😊☺️.....
......यार बोलो ,,,,,
अरे तुम चुप हो गई तभी तो में बोलु ,,,😏
Hi everyone...🙏🏻😁🌷🌷🌷🌷🌷🌷🙋🏻♀️🙋🏻♀️
मेरा नाम है प्रत्युषा अग्रवाल।
क्या आप सभी मेरी कहानी सुनना चाहेंगे?
अगर हाँ... तो थोड़ी देर ठहरिए, क्योंकि ये कहानी सिर्फ मेरी नहीं मेरी ज़िन्दगी का आईना है।
कभी-कभी न, हम सबके पास कुछ ऐसी बातें होती हैं जिन्हें हम किसी को नहीं बता पाते…
ना अपने घरवालों को,
ना दोस्तों को,
और ना ही उस इंसान को जिससे हम सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं।.......
शायद इसलिए मैंने ये पन्ने उठाए हैं ताकि मैं खुद को बयां कर सकूँ।
मैं बहुत साधारण सी लड़की हूँ,
ना ज़्यादा अमीर, ना बहुत मशहूर बस अपने छोटे-से शहर की,........
जो रोज़ सुबह चाय की ख़ुशबू और माँ की पुकार से जागती है।
मेरी दुनिया बहुत प्यारी है मेरे मम्मी-पापा, मेरी छोटी बहन, और मेरे कुछ पागल दोस्त।
हमेशा हँसते रहते थे, छोटी-छोटी बातों पर रो भी लेते थे,
पर ज़िन्दगी तब आसान थी... जब तक शादी का नाम मेरे हिस्से में नहीं आया था।.........
शायद किस्मत को मुझसे कुछ और ही लिखवाना था।
उम्र सिर्फ उन्नीस साल... और हाथों में मेहंदी लगी थी,
जो अभी सूख भी नहीं पाई थी कि मेरी मासूम ज़िन्दगी ने करवट ले ली।
लेकिन नहीं .....
आज मैं अपनी कहानी रोने के लिए नहीं,
बल्कि अपने आप को समझाने के लिए लिख रही हूँ।
क्योंकि हर लड़की की तरह, मैं भी कभी बहुत खुश थी...
और मैं चाहती हूँ कि जब आप ये कहानी पढ़ें
तो मेरी हँसी, मेरा दर्द, मेरा सपना सब महसूस कर पाएं।
तो चलिए...
शुरू करते हैं “प्रत्युषा: मासूम सी ज़िन्दगी” की शुरुआत,
जहाँ एक लड़की खुद अपनी कहानी बयां करती है…
शुरुआत से लेकर उस मोड़ तक, जहाँ उसकी मासूमियत, उसकी हँसी और उसकी दुनिया .. सब बदल जाती है...
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...... Chalo Bus itna hi Aaj Ke liye... Meri kahani start hogi first chapter se... To padhna na bolo per comment kar
ke jarur batao....bye... Aur han mujhe bhulna mat...😁😁😁🌷🙋🏻♀️🙋🏻♀️


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